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लेखनी प्रतियोगिता -08-Dec-2022

छोटी सी वो चिड़िया था बांध जिसे पिंजरे में दिया

बचपन जिसका गुड़िया से दूर कर दिया
बांध दिया जिसे ऐसे संसार में
जानती नही जिसे वो अभी अपने हाल में
उमर थी मौज मस्ती की बचपन की 
आज उसे सात फेरों में बांध दिया
नही जानती थी वो मां बाप ने उसका बचपन बेच दिया 
बना बालिका वधु आज उसका सुंदर संसार उससे लील लिया
हाए रे बेटी तेरी विडंबना तेरा भाग्य आज तुझसे ही छीन लिया
बन गई आज तू बालिका वधु भर मांग में सिंदूर हाथों में
पहन चूड़ियां और पैरों में पायल बिछिया
इस समाज ने आज एक बच्ची का भविष्य बना बालिका वधु
यूं बर्बाद कर दिया
कहां बनती वो कल्पना चावला या पी टी उषा 
रचाती इतिहास अपनी उड़ान से 
हाए रे शर्म आती है मुझे अपने समाज पर

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4 Comments

Gunjan Kamal

17-Dec-2022 05:27 PM

शानदार

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बहुत खूब

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Abhinav ji

09-Dec-2022 09:06 AM

Very nice👍

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